निर्वैयक्तिकता का सिद्धांत

प्रस्तावना

20वीं शताब्दी की अंग्रेजी साहित्यिक आलोचना में टी.एस. इलिएट (T.S. Eliot) का महत्वपूर्ण स्थान है। वे न केवल एक प्रख्यात कवि, नाटककार और समीक्षक थे, बल्कि उन्होंने साहित्यिक आलोचना की दिशा और दृष्टिकोण को भी एक नया मोड़ दिया। उनकी रचनाओं में आधुनिकतावाद (Modernism) की स्पष्ट छाप मिलती है, जिसमें पारंपरिक साहित्यिक दृष्टियों को चुनौती दी गई। इलिएट का ‘निर्वैयक्तिकता का सिद्धांत’ (Impersonality Theory) कविता की आलोचना और रचना में एक क्रांतिकारी विचार के रूप में उभरा। यह सिद्धांत उन्होंने विशेष रूप से अपने प्रसिद्ध निबंध “Tradition and the Individual Talent” (1919) में प्रस्तुत किया।


टी.एस. इलिएट का परिचय

टी.एस. एलियट (T.S. Eliot) 20वीं सदी के प्रमुख आधुनिकतावादी कवि, नाटककार और साहित्यिक आलोचक थे। उनका जन्म 26 सितंबर 1888 को सेंट लुइस, मिसौरी, अमेरिका में हुआ था। उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और बाद में इंग्लैंड में बस गए, जहाँ उन्होंने 1927 में ब्रिटिश नागरिकता प्राप्त की।

एलियट की कविता “The Love Song of J. Alfred Prufrock” (1915) ने उन्हें साहित्यिक जगत में पहचान दिलाई। उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना “The Waste Land” (1922) है, जो प्रथम विश्व युद्ध के बाद की निराशा और आध्यात्मिक शून्यता को दर्शाती है। उनकी अन्य महत्वपूर्ण कृतियों में “Ash Wednesday” (1930) और “Four Quartets” (1943) शामिल हैं।

एलियट ने नाटक भी लिखे, जिनमें “Murder in the Cathedral” (1935) और “The Cocktail Party” (1949) प्रमुख हैं। उन्होंने साहित्यिक आलोचना में भी योगदान दिया, विशेष रूप से उनके निबंध “Tradition and the Individual Talent” (1919) और “The Sacred Wood” (1920) प्रसिद्ध हैं।

उनके योगदान के लिए उन्हें 1948 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। एलियट का निधन 4 जनवरी 1965 को लंदन में हुआ।


सिद्धांत की पृष्ठभूमि

19वीं सदी तक साहित्यिक आलोचना में यह सामान्य मान्यता थी कि कविता या साहित्य लेखक की व्यक्तिगत भावनाओं, अनुभवों और जीवन की अभिव्यक्ति है। रोमांटिक कवियों जैसे विलियम वर्ड्सवर्थ, शेली, और कीट्स ने कविता को आत्माभिव्यक्ति का माध्यम माना। वर्ड्सवर्थ ने कहा था – “Poetry is the spontaneous overflow of powerful feelings.”

लेकिन 20वीं शताब्दी में इलिएट ने इस विचारधारा को सिरे से नकारते हुए कहा कि कविता को कवि के व्यक्तिगत भावों से मुक्त होना चाहिए, और इसमें परंपरा एवं सांस्कृतिक चेतना की बड़ी भूमिका होती है।


परंपरा की अवधारणा

टी.एस. इलिएट के निर्वैयक्तिकता के सिद्धांत को समझने के लिए पहले उनके ‘परंपरा’ (Tradition) के विचार को समझना आवश्यक है।

वे मानते हैं कि परंपरा कोई मृत अतीत नहीं है, बल्कि यह एक जीवंत उत्तराधिकार है जिसमें पूर्ववर्ती कवियों और लेखकों का योगदान शामिल होता है। एक आधुनिक कवि को केवल वर्तमान में ही नहीं लिखना चाहिए, बल्कि उसे अतीत की सांस्कृतिक चेतना के साथ संवाद करना चाहिए। उनका मानना था कि एक सच्चा कवि वह है जो अपने समय की अनुभूति को अतीत के साहित्यिक अनुभव से जोड़ सके।

इलिएट कहते हैं:

“The historical sense involves a perception, not only of the pastness of the past, but of its presence.”


 निर्वैयक्तिकता का अर्थ

इलिएट के अनुसार, कविता की निर्माण प्रक्रिया में कवि की व्यक्तिगत भावनाओं और आत्मीय अनुभवों को पूर्णतः समाप्त कर देना चाहिए। उनका तर्क था कि कविता में कवि स्वयं उपस्थित नहीं होता, बल्कि वह एक माध्यम होता है जिसके द्वारा भावों, विचारों और प्रतीकों का एक नवीन समन्वय प्रस्तुत होता है।

वे कहते हैं:

“Poetry is not a turning loose of emotion, but an escape from emotion; it is not the expression of personality, but an escape from personality.”

इसका अर्थ है कि कविता में कवि के व्यक्तित्व की छाया नहीं होनी चाहिए, बल्कि उसमें केवल कला का शुद्ध रूप होना चाहिए।


रासायनिक उदाहरण (Chemical Analogy)

इलिएट ने अपने सिद्धांत को स्पष्ट करने के लिए एक रासायनिक प्रक्रिया का उदाहरण दिया:

वे कहते हैं कि ऑक्सीजन और सल्फर डाईऑक्साइड, जब एक साथ मिलते हैं तो वे एक नया यौगिक बनाते हैं — सल्फ्यूरिक एसिड। यह यौगिक तभी बनता है जब उसमें एक प्लैटिनम तत्व उत्प्रेरक (catalyst) के रूप में सम्मिलित किया जाए। प्लैटिनम इस प्रक्रिया में भाग नहीं लेता, न ही वह बदलता है, परंतु यह प्रतिक्रिया को संभव बनाता है।

इलिएट के अनुसार, कवि का मस्तिष्क उसी उत्प्रेरक की भांति होता है। वह स्वयं कविता में सम्मिलित नहीं होता, परंतु उसके माध्यम से भावों और विचारों का संयोजन होता है।


कविता का उद्देश्य

इलिएट के अनुसार, कविता का उद्देश्य भावनाओं का व्यक्तित्व के बिना संयोजन करना है। कविता कवि की आत्मकथा नहीं है, बल्कि एक कलात्मक रचना है जिसमें भावनाएं, प्रतीक और विचार एक नवीन सांस्कृतिक संरचना के रूप में प्रस्तुत होते हैं।

उनका मानना है कि:

  • कवि को अपने व्यक्तिगत अनुभवों से पार उठना चाहिए।

  • एक उत्तम कविता वह है जिसमें कवि का व्यक्तित्व पूरी तरह से अनुपस्थित हो।

  • पाठक को कविता पढ़ते समय कवि के जीवन की छवि नहीं मिलनी चाहिए।


आलोचना के लिए दृष्टिकोण

इलिएट के निर्वैयक्तिकता सिद्धांत का उद्देश्य केवल कविता की रचना ही नहीं, बल्कि उसे आलोचना की दृष्टि भी प्रदान करना है। वे कहते हैं कि कविता को इस आधार पर नहीं परखा जाना चाहिए कि वह कवि के जीवन या अनुभव से कितनी मेल खाती है, बल्कि यह देखा जाना चाहिए कि उसमें कलात्मक समरसता और परंपरा का समावेश किस प्रकार हुआ है।


आधुनिकता और निर्वैयक्तिकता

टी.एस. इलिएट के निर्वैयक्तिकता सिद्धांत को आधुनिकतावाद (Modernism) की विचारधारा से जोड़कर भी देखा जाता है। आधुनिक कविता में कवियों ने व्यक्तिगत भावुकता से हटकर विचारों, प्रतीकों, सांस्कृतिक मिथकों आदि के प्रयोग को प्राथमिकता दी। उदाहरण स्वरूप उनकी रचना ‘The Waste Land’ को देख सकते हैं। , जहाँ व्यक्तिगत भावना नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक संकट का व्यापक चित्रण मिलता है।


सिद्धांत की विशेषताएँ

1. कवि का व्यक्तित्व अप्रासंगिक होता है:
कविता में कवि का आत्मकथात्मक योगदान गौण होता है।

2. परंपरा की भूमिका:
कवि को परंपरा से जुड़कर लिखना चाहिए, अतीत के साहित्य का ज्ञान आवश्यक है।

3. कविता एक वस्तुपरक रचना है:
यह लेखक की आत्मा नहीं, बल्कि कलात्मक वस्तु है।

4. कला का उद्देश्य भावनाओं का संयोजन है:
न कि कवि की भावनाओं का उद्गार।

5. रचना प्रक्रिया एक रासायनिक प्रतिक्रिया की भाँति है:
जहाँ कवि उत्प्रेरक होता है, रचना के घटक स्वतंत्र होते हैं।


टी. एस. इलिएट के काव्य में निर्वैयक्तिकता का प्रयोग

टी.एस. इलिएट की रचनाओं में उनके इस सिद्धांत की स्पष्ट झलक मिलती है। उदाहरण के लिए:

The Waste Land (1922)

यह कविता प्रथम विश्वयुद्ध के बाद के यूरोप की सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक पतन का चित्रण है। इसमें व्यक्तिगत भावुकता नहीं, बल्कि आधुनिक समाज की विखंडनशीलता को प्रतीकों और मिथकों के माध्यम से व्यक्त किया गया है।

Love Song of J. Alfred Prufrock

इस कविता में नायक की व्यक्तिगत चिंता भी व्यक्तित्वहीन संदर्भ में आती है। यह केवल कवि की आत्मा नहीं, बल्कि पूरे आधुनिक मानव का प्रतिनिधित्व करती है।


टी.एस. इलिएट के निर्वैयक्तिकता सिद्धांत की आलोचना

हालांकि यह सिद्धांत आधुनिक आलोचना के क्षेत्र में बहुत प्रभावशाली रहा है, किंतु इसकी कुछ सीमाएँ भी रेखांकित की गई हैं:

1. कवि का व्यक्तित्व अनिवार्य:
कई आलोचकों का मानना है कि कवि का व्यक्तित्व और अनुभव अनजाने में उसकी रचना में आ ही जाते हैं।

2. कविता की आत्म भावनाएँ होती हैं:
यदि कवि की भावना पूरी तरह अनुपस्थित हो, तो कविता में जीवन्तता और संवेदनशीलता की कमी हो सकती है।

3. रचना प्रक्रिया पूरी तरह वस्तुनिष्ठ नहीं हो सकती:
कविता कोई वैज्ञानिक प्रक्रिया नहीं है, उसमें भावनाओं और अनुभवों की अवचेतन भूमिका होती है।

4. परंपरा की संकल्पना सीमित:
इलिएट की परंपरा केवल पश्चिमी साहित्य तक सीमित प्रतीत होती है। यह बहु-सांस्कृतिक दृष्टि नहीं अपनाती।


निष्कर्ष

टी.एस. इलिएट का ‘निर्वैयक्तिकता का सिद्धांत’ आधुनिक साहित्यिक आलोचना में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह सिद्धांत न केवल रोमांटिक आत्माभिव्यक्ति की अवधारणा को चुनौती देता है, बल्कि यह साहित्यिक आलोचना में नवीन वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। इलिएट का मानना था कि कविता को केवल भावनाओं की उफनती नदी नहीं होना चाहिए, बल्कि उसे एक बुद्धिसंगत और कलात्मक संरचना के रूप में देखा जाना चाहिए।

उनकी यह सोच आज भी कविता की आलोचना और मूल्यांकन में प्रासंगिक बनी हुई है, और यह रचनाकारों को इस बात की प्रेरणा देती है कि साहित्य को व्यक्तिगत सीमाओं से निकालकर सार्वभौमिक संदर्भों में प्रस्तुत किया जाए। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि टी.एस. इलिएट का निर्वैयक्तिकता का सिद्धांत यह सिखाता है कि एक सच्चा कवि वह नहीं जो अपनी पीड़ा रोए, बल्कि वह है जो संपूर्ण मानवता की पीड़ा को सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और कलात्मक भाषा में व्यक्त कर सके — बिना स्वयं को केंद्र में रखे।


♦️वस्तुनिष्ठ प्रश्न♦️

1➤ टी.एस. इलिएट ने ‘निर्वैयक्तिकता का सिद्धांत’ किस निबंध में प्रस्तुत किया?





2➤ ‘Tradition and the Individual Talent’ निबंध किस वर्ष प्रकाशित हुआ?





3➤ टी.एस. इलिएट को किस वर्ष साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला?





4➤ ‘The Waste Land’ कविता किस वर्ष प्रकाशित हुई?





5➤ टी.एस. इलिएट के अनुसार एक सच्चा कवि कैसा होता है?





6➤ निर्वैयक्तिकता के अनुसार कविता में क्या अनुपस्थित होना चाहिए?





7➤ “The Waste Land” कविता का मुख्य विषय क्या है?





8➤ इलिएट की आलोचना में ‘उत्प्रेरक सिद्धांत’ का क्या अर्थ है?





9➤ “Tradition” इलिएट के अनुसार क्या है?





10➤ इलिएट के अनुसार, कविता का मूल्यांकन किस आधार पर होना चाहिए?





11➤ इलिएट के सिद्धांत की आलोचना किस आधार पर होती है?





 

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