‘हिन्दी नवरत्न’ क्या है ?
‘हिन्दी नवरत्न’ मिश्र बन्धुओं की एक आलोचनात्मक पुस्तक है, जिसका प्रकाशन संवत् 1967 में हुआ था। इसमें मध्यकाल से लेकर आधुनिक काल तक उन 9 कवियों को शामिल किया गया है, जो मिश्र बन्धुओं के अनुसार श्रेष्ठ थे। इस ग्रन्थ में कुल 9 अध्याय हैं। जिसमें कवियों का जीवन चरित, ग्रन्थ परिचय, रचना विवेचन, काव्यांशों के उदाहरण आदि देखने को मिलते हैं। यहां कवियों का जो क्रम दिया गया है, वह काल क्रमानुसार नहीं रखा गया है। इसमें सिर्फ कवियों की गुणवत्ता को ध्यान में रखा गया है। जिससे हिन्दी कविता के विकास को समझने में कोई मदद नहीं मिलती। इसके अलावा मिश्र बंधुओं ने इसमें तुलसीदास, देव, बिहारी आदि का जो मूल्यांकन किया है, उसे हिन्दी के विद्वानों ने स्वीकार नहीं किया।
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने ‘हिन्दी नवरत्न’ की कड़ी आलोचना करते हुए लिखा है-
“……….दैन्य भाव की उक्तियों को लेकर तुलसीदास जी खुशामदी कहे गए हैं। देव को बिहारी से बड़ा सिद्ध करने के लिए बिना दोष के दोष ढूढ़े गए हैं।………….इसी प्रकार की बेसिर पैर की बातों से पुस्तक भरी है। कवियों की विशेषताओं के मार्मिक निरूपण की आशा में जो इसे खोलेगा, वह निराश ही होगा।”
भले ही हिन्दी समाज मिश्र बन्धुओं की इस पुस्तक में दी गई बातों से असहमत हो, फिर भी इसमें एक ऐतिहासिक महत्व देखने को मिलता है, जिसे किसी भी प्रकार नहीं नकारा जा सकता।
हिन्दी नवरत्न के कवियों का क्रम
क्र.स. | कवि का नाम |
1 | गोस्वामी तुलसीदास |
2 | महात्मा सूरदास |
3 | महाकवि देवदत्त (देव) |
4 | महाकवि बिहारी लाल |
5 | त्रिपाठी बंधु – (महाकवि भूषण त्रिपाठी और महाकवि मतिराम त्रिपाठी) |
6 | महाकवि केशवदास |
7 | महात्मा कबीरदास |
8 | महाकवि चंदबरदाई |
9 | भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र |
मिश्र बंधुओं का परिचय
मिश्र बंधु तीन भाईयों (गणेश बिहारी मिश्र, श्याम बिहारी मिश्र और शुकदेव बिहारी मिश्र) का संयुक्त नाम है, जिसका प्रयोग वे अपनी साहित्यिक रचनाओं में करते थे। इनके पूर्वजों का वासस्थान भगवंतनगर (जिला हरदोई, उत्तर प्रदेश) था। बाद में वे इंटौजा (जिला लखनऊ) चले आये जहां मिश्रबंधुओं का बाल्यकाल व्यतीत हुआ। इन तीनों का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है –
▣ गणेश बिहारी मिश्र
गणेश बिहारी मिश्र का जन्म 1866 ई. में हुआ था। इन्हें, हिन्दी, संस्कृत और फ़ारसी की शिक्षा घर पर ही मिली। यह लखनऊ डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के सदस्य और उपाध्यक्ष भी रहे।
▣ श्याम बिहारी मिश्र
श्याम बिहारी मिश्र को ‘राव राजा’ के नाम से भी जाना जाता है। इनका जन्म सन् 1874 ई. में हुआ था। ये डेप्युटी कलेक्टर व डेप्युटी कमिश्नर जैसे पदों पर काम करने के बाद ओरछा राज्य के दीवान नियुक्त हुए।
▣ शुकदेव बिहारी मिश्र
शुकदेव बिहारी मिश्र का जन्म सन् 1879 ई. में हुआ था। इन्होंने बी.ए. तथा वकालत की शिक्षा प्राप्त की। ऑनरेरी मजिस्ट्रेट और रायबहादुर बनने के बाद ये 16 वर्ष तक छतरपुर राज्य के दीवान रहे।
मिश्र बंधुओं का हिन्दी साहित्य में योगदान
हिन्दी साहित्य में मिश्र बंधुओं को मुख्य रूप से उनके ग्रन्थ ‘मिश्रबंधु विनोद’ के लिए जाना जाता है। इसके माध्यम से मिश्र बंधुओं ने हिन्दी साहित्य का इतिहास लिखने का प्रयास किया। यहां मैं प्रयास इसलिए कह रहा हूं, क्यों कि इसे पूर्ण रूप से इतिहास ग्रन्थ नहीं कहा जा सकता। इसमें करीब पांच हजार कवियों एवं साहित्यकारों का उल्लेख किया गया है। इस पुस्तक में उनके द्वारा दी गई जानकारियों ने भविष्य में कई साहित्यकारों के लिए एक ‘पथ प्रदर्शक’ की भूमिका निभाई।
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल इस विषय पर लिखते हैं- “रीतिकाल के कवियों का परिचय लिखने में मैंने प्रायः ‘मिश्रबंधु विनोद’ से ही विवरण लिए हैं।”
मिश्रबंधुओं के इसी योगदान ने हिन्दी साहित्य में उन्हें अमर कर दिया।
महत्वपूर्ण प्रश्न
1➤ ‘हिन्दी नवरत्न’ के लेखक कौन हैं ?
2➤ ‘हिन्दी नवररत्न’ का प्रकाशन वर्ष क्या है ?
3➤ ‘हिन्दी नवरत्न’ में कितने अध्याय हैं ?
4➤ “……….दैन्य भाव की उक्तियों को लेकर तुलसीदास जी खुशामदी कहे गए हैं और देव को बिहारी से बड़ा सिद्ध करने के लिए बिना दोष के दोष ढूंढ़े गए हैं।………..इसी प्रकार की बेसिर पैर की बातों से पुस्तक भरी पड़ी है। कवियों की विशेषताओं के मार्मिक निरूपण की आशा में जो इसे खोलेगा, वह निराश ही होगा।” यह कथन किसका है ?
5➤ ‘हिन्दी नवरत्न’ में त्रिपाठी बंधु कौन हैं ?
6➤ निम्न में से कौन सा कवि ‘हिन्दी नवरत्न’ का नहीं है ?