प्रस्तावना
मानव सभ्यता के विकास में कथा-परंपरा की अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। प्रारंभिक काल में जब मनुष्य प्रकृति की शक्तियों को समझने और नियंत्रित करने में असमर्थ था, तब उसने कल्पना और अनुभव के आधार पर अनेक कथाओं का सृजन किया। ये कथाएँ केवल मनोरंजन का साधन नहीं थीं, बल्कि समाज की आस्था, भय, आकांक्षा और ज्ञान की अभिव्यक्ति भी थीं। इन्हीं कथाओं को व्यापक अर्थ में ‘मिथक’ (Myth) कहा जाता है। मिथक जीवन और संस्कृति के बीच सेतु का कार्य करते हैं। वे हमें यह समझने में मदद करते हैं कि किसी विशेष समय में समाज किस प्रकार सोचता था और उसका दृष्टिकोण विश्व के प्रति कैसा था।
मिथक की परिभाषा
‘मिथक’ शब्द संस्कृत के मिथ्या से जुड़ा है, जिसका अर्थ है— झूठा, काल्पनिक या अवास्तविक। किंतु साहित्यिक और दार्शनिक विमर्श में मिथक केवल झूठी कथा नहीं है। यह मानवीय कल्पना और सांस्कृतिक अनुभव का संगम है।
विभिन्न विद्वानों ने मिथक की परिभाषा दी है:
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मैक्स मूलर के अनुसार, मिथक प्रकृति की शक्तियों का काव्यात्मक व्यक्तिकरण है।
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फ्रेज़र (James Frazer) के अनुसार, मिथक प्रारंभिक मनुष्य की धार्मिक और जादुई आस्थाओं की अभिव्यक्ति है।
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कार्ल युंग (Carl Jung) ने मिथकों को सामूहिक अचेतन (Collective Unconscious) का प्रतीक बताया।
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मिर्सिया एलिएडे (Mircea Eliade) के मत में, मिथक किसी पवित्र घटना या आदिम सत्य का पुन:कथन है।
इन परिभाषाओं से स्पष्ट है कि मिथक केवल कल्पना की उड़ान नहीं, बल्कि मानव सभ्यता के अनुभव, विश्वास और सांस्कृतिक दृष्टिकोण का सार है।
मिथक की विशेषताएँ
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प्रकृति और अलौकिकता का मिश्रण – मिथक में अलौकिक शक्तियों और असाधारण घटनाओं का उल्लेख होता है।
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सामूहिक स्मृति – यह समाज की सामूहिक स्मृति और सांस्कृतिक परंपरा को जीवित रखता है।
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आदिम व्याख्या – मिथक जगत और जीवन के रहस्यों को सरल और प्रतीकात्मक ढंग से समझाने का प्रयास करते हैं।
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नैतिक एवं सामाजिक संदेश – कई मिथक समाज को नैतिक शिक्षा देते हैं।
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अनंत पुनर्कथन – मिथक समय-समय पर नये रूप में कहे और सुने जाते हैं।
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सांस्कृतिक पहचान – मिथक किसी संस्कृति की आत्मा और पहचान को परिभाषित करते हैं।
मिथक का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
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समाज की उत्पत्ति और संरचना की व्याख्या – मिथक यह बताते हैं कि जातियाँ, वर्ग या रीति-रिवाज कैसे बने।
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सामाजिक एकता – साझा मिथक समुदाय को एकजुट रखते हैं।
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संस्कार और मूल्य – मिथक नैतिकता, कर्तव्य और धर्म का बोध कराते हैं।
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कला और संस्कृति का स्रोत – चित्रकला, संगीत, नृत्य और नाटक की प्रेरणा मिथकों से मिलती है।
मिथक और मनोविज्ञान
कार्ल युंग ने मिथकों को सामूहिक अचेतन का प्रतीक बताया। उनके अनुसार, मनुष्य के अवचेतन में कुछ आदिम छवियाँ (Archetypes) होती हैं, जैसे— नायक, माता, छाया, गुरु आदि। ये सभी मिथकों में बार-बार प्रकट होती हैं।
सिगमंड फ्रायड ने मिथकों को दबी हुई इच्छाओं और मनोवैज्ञानिक तनावों की अभिव्यक्ति माना। उदाहरण के लिए, ग्रीक मिथक ‘ईडिपस’ को उन्होंने पुत्र की अवचेतन इच्छा से जोड़ा।
मिथक और आधुनिक विमर्श
आधुनिक युग में मिथक का अध्ययन केवल धर्म या साहित्य तक सीमित नहीं रहा।
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नृविज्ञान में मिथकों को सांस्कृतिक व्यवहार की व्याख्या के रूप में देखा जाता है।
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भाषाविज्ञान मिथकों के प्रतीकात्मक स्वरूप को समझता है।
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उत्तरआधुनिक आलोचना मिथकों को शक्ति, राजनीति और लिंग के विमर्श से जोड़ती है।
आधुनिक साहित्यकार मिथकों को नए संदर्भों में ढालने का प्रयास करते हैं।
मिथक और प्रतीक
मिथक प्रतीकों से बने होते हैं। सूर्य, चंद्रमा, सर्प, समुद्र, वृक्ष— ये सब मिथकों में गहन प्रतीकात्मक अर्थ रखते हैं। उदाहरण के लिए:
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सर्प— भय, पुनर्जन्म और गुप्त शक्ति का प्रतीक है।
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वृक्ष— जीवन और सृजन का प्रतीक है।
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समुद्र— अनंत और अज्ञात का प्रतीक है।
मिथक की आलोचनाएँ
कुछ विद्वानों ने मिथकों को अवैज्ञानिक और अवास्तविक मानकर उनकी आलोचना की है। वैज्ञानिक दृष्टि से मिथक तथ्य नहीं, कल्पना मात्र हैं। किंतु यह भी सत्य है कि मिथक मनुष्य की भावनाओं, अनुभवों और संस्कृति को व्यक्त करते हैं, इसलिए वे नितांत अप्रासंगिक नहीं हो सकते।
निष्कर्ष
मिथक केवल बीते समय की काल्पनिक कथाएँ नहीं हैं, बल्कि वे मानव सभ्यता की स्मृति, अनुभव और आकांक्षा का जीवंत दस्तावेज़ हैं। मिथक हमें बताते हैं कि मनुष्य ने ब्रह्मांड, देवत्व, जीवन और मृत्यु को किस प्रकार समझा। वे समाज की नैतिकता, धर्म और संस्कृति को आकार देते हैं और साहित्य तथा कला को सतत् प्रेरित करते हैं।
आज भी मिथक हमारे जीवन और विचारों में मौजूद हैं— कभी धार्मिक आस्था के रूप में, कभी साहित्यिक प्रेरणा के रूप में और कभी सांस्कृतिक पहचान के रूप में। इसलिए यह कहना उचित होगा कि मिथक केवल अतीत की धरोहर नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य की भी दिशा देने वाली धरोहर हैं।
♦️वस्तुनिष्ठ प्रश्न♦️
1➤ ‘मिथक’ शब्द की व्युत्पत्ति किससे मानी जाती है?
2➤ मैक्स मूलर के अनुसार मिथक किसका व्यक्तिकरण है?
3➤ फ्रेज़र के अनुसार मिथक किसकी अभिव्यक्ति है?
4➤ कार्ल युंग ने मिथकों को किसका प्रतीक माना?
5➤ मिर्सिया एलिएडे के अनुसार मिथक क्या है?
6➤ निम्न में से कौन-सी विशेषता मिथक की नहीं है?
7➤ कला और संस्कृति को प्रेरणा सबसे अधिक किससे मिलती है?
8➤ सूर्य, चंद्रमा, वृक्ष, सर्प आदि मिथकों में क्या कहलाते हैं?
9➤ सर्प का प्रतीकात्मक अर्थ है—
10➤ वृक्ष किसका प्रतीक है?
11➤ समुद्र मिथक में किसका प्रतीक है?
12➤ नृविज्ञान (Anthropology) में मिथकों को कैसे देखा जाता है?
13➤ मिथकों की आलोचना किस आधार पर की जाती है?










