कॉलरिज का कल्पना और फैंटेसी का सिद्धांत

भूमिका

19वीं शताब्दी की प्रारंभिक अवधि में अंग्रेज़ी साहित्य में एक प्रमुख नाम थे सैमुअल टेलर कॉलरिज (Samuel Taylor Coleridge)। वे अंग्रेज़ी रोमांटिक आंदोलन के प्रमुख कवियों और चिंतकों में से एक थे। उन्होंने न केवल काव्य-रचना की, बल्कि साहित्यिक सिद्धांतों और आलोचना में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी सबसे महत्वपूर्ण आलोचनात्मक रचनाओं में Biographia Literaria है, जिसमें उन्होंने कल्पना (Imagination) और फैंटेसी (Fancy) के सिद्धांत को विस्तारपूर्वक प्रस्तुत किया है। यह सिद्धांत आधुनिक साहित्यिक चिंतन की नींव बन चुका है और साहित्य में रचनात्मकता, कला और सौंदर्य की समझ को गहराई प्रदान करता है।


कॉलरिज का परिचय

सैमुअल टेलर कॉलरिज (1772–1834) एक प्रमुख अंग्रेजी कवि, साहित्यिक आलोचक और दार्शनिक थे, जिन्हें इंग्लैंड में रोमांटिक आंदोलन के संस्थापकों में गिना जाता है। वे विलियम वर्ड्सवर्थ के घनिष्ठ मित्र और सहयोगी थे, और दोनों ने मिलकर 1798 में Lyrical Ballads नामक कविता संग्रह प्रकाशित किया, जिसे अंग्रेजी रोमांटिक युग की शुरुआत माना जाता है।

कॉलरिज की प्रमुख काव्य कृतियों में The Rime of the Ancient Mariner, Kubla Khan और Christabel शामिल हैं। इन रचनाओं में रहस्य, कल्पना और प्रकृति के प्रति गहन संवेदना की अभिव्यक्ति होती है। उन्होंने Biographia Literaria नामक गद्य कृति भी लिखी, जो साहित्यिक आलोचना और दर्शन का महत्वपूर्ण ग्रंथ है।

उनका योगदान न केवल कविता के क्षेत्र में, बल्कि साहित्यिक आलोचना और दार्शनिक चिंतन में भी महत्वपूर्ण रहा है, जिससे वे आज भी साहित्य प्रेमियों और विद्वानों के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं।


1. काल्पनिकता का साहित्य में महत्व

कल्पना और फैंटेसी साहित्यिक रचना के मूल तत्व हैं। दोनों का संबंध रचनात्मकता, नवीनता और विचारों की उड़ान से है। लेकिन कॉलरिज ने इन्हें केवल मनोवैज्ञानिक या दार्शनिक ढंग से नहीं देखा, बल्कि इनकी परिभाषा और भेद की स्पष्टता के साथ एक सशक्त सौंदर्यशास्त्रीय आधार दिया।


2. Biographia Literaria: सिद्धांत का स्रोत

1817 में प्रकाशित Biographia Literaria को कॉलरिज की साहित्यिक और सौंदर्यशास्त्रीय विचारधारा का शिखर माना जाता है। इस पुस्तक में उन्होंने कल्पना और फैंटेसी के बीच गूढ़ और प्रभावशाली भेद प्रस्तुत किया, जिसे अंग्रेज़ी साहित्य के अध्ययन में मील का पत्थर माना गया। यह सिद्धांत केवल साहित्य के लिए नहीं, बल्कि मनुष्य की सृजनात्मक बुद्धि के अध्ययन में भी उपयोगी है।


3. कल्पना (Imagination): एक सृजनात्मक शक्ति

कॉलरिज ने कल्पना को “सृजन की आत्मा” (esemplastic power) कहा है, अर्थात वह शक्ति जो विभिन्न अनुभवों और विचारों को एक समग्रता में गूंथ कर नया अर्थ और सौंदर्य प्रदान करती है।

(क) Primary Imagination (प्राथमिक कल्पना):

यह वह मूलभूत शक्ति है जो मनुष्य के अनुभव की चेतना के साथ जुड़ी होती है। यह ईश्वर द्वारा प्रदत्त शक्ति है जो हमें इंद्रिय अनुभवों को ग्रहण करने और उन्हें व्यवस्थित करने में सहायता करती है। यह हर व्यक्ति में स्वाभाविक रूप से मौजूद होती है।

“Primary Imagination I hold to be the living power and prime agent of all human perception.” – कॉलरिज

(ख) Secondary Imagination (द्वितीयक कल्पना):

यह कला और साहित्य में रचनात्मकता की वास्तविक शक्ति है। यह प्राथमिक कल्पना की ही परिष्कृत और सचेत रूप में क्रियाशील शक्ति है। इसके द्वारा कवि अपने अनुभवों को पुनर्गठित करता है, नया सौंदर्य रचता है और अपने विचारों को कल्पनात्मक रूप में मूर्त करता है।

“It dissolves, diffuses, dissipates in order to re-create.” – कॉलरिज

इस प्रकार, द्वितीयक कल्पना एक रचनात्मक प्रक्रिया है जो यथार्थ और अनुभव को न केवल दोहराती है, बल्कि उसमें नवीनता जोड़कर उसे एक नई कला-रचना में बदल देती है।


4. फैंटेसी (Fancy): यांत्रिक प्रक्रिया

कॉलरिज के अनुसार फैंटेसी (Fancy) कल्पना की तुलना में निम्न कोटि की शक्ति है। यह रचनात्मक नहीं, बल्कि पुनरावृत्तिमूलक होती है। इसमें कोई नया अर्थ या सौंदर्य नहीं जुड़ता, बल्कि यह पहले से विद्यमान अनुभवों या छवियों को जोड़ने और पुनः संयोजित करने का कार्य करती है।

“Fancy is indeed no other than a mode of memory emancipated from the order of time and space.” – कॉलरिज

फैंटेसी में कोई गहराई नहीं होती, यह केवल चित्रों और प्रतीकों का संयोजन करती है। यह विशुद्ध यांत्रिक कार्य है, जो केवल सतही रूप में विचारों को जोड़ता है।


5. कल्पना और फैंटेसी का अंतर

  • कल्पना एक उच्चकोटि की मानसिक शक्ति है जो अनुभवों, विचारों और संवेदनाओं को नए ढंग से गूंथ कर एक नई और जीवंत रचना का निर्माण करती है। इसमें मूल भावनात्मक और आध्यात्मिक ऊर्जा होती है।

  • फैंटेसी की प्रक्रिया सतही है, जिसमें लेखक या कवि पहले से मौजूद बिंबों, प्रतीकों और छवियों को केवल संयोजित करता है, लेकिन उनके बीच कोई गूढ़ या नया अर्थ नहीं पैदा करता।

कॉलरिज के अनुसार, कल्पना वह शक्ति है जो एक कवि को ‘कवि’ बनाती है, जबकि फैंटेसी केवल एक अलंकारिक सज्जा है।

कॉलरिज के शब्दों में:
“Imagination fuses and creates, Fancy combines and decorates.”

यह अंतर उनके साहित्यिक दृष्टिकोण की गहराई और सूक्ष्मता को दर्शाता है, जो आज भी आलोचना और रचनात्मक लेखन की आधारशिला है।


6. कॉलरिज की काव्य रचनाओं में कल्पना और फैंटेसी

कॉलरिज के सिद्धांत को उनकी रचनाओं में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। जैसे:

The Rime of the Ancient Mariner:

यह रचना द्वितीयक कल्पना का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसमें अलौकिकता को इस तरह चित्रित किया गया है कि वह पाठक को विश्वसनीय प्रतीत होता है। समुद्र, आत्मा, मृत्यु और पुनर्जन्म के बिंबों का उपयोग करते हुए कॉलरिज ने कल्पना के माध्यम से आध्यात्मिक अनुभूतियों को सजीव किया है।

Kubla Khan:

यह कविता फैंटेसी और कल्पना दोनों की शक्ति को दर्शाती है। हालांकि यह एक अधूरी रचना है, लेकिन इसमें सपने जैसी रहस्यमयता, दृश्यात्मकता और ध्वन्यात्मक सौंदर्य विद्यमान है। इसमें कल्पना गहराई में उतरती है, जबकि कुछ अंशों में फैंटेसी का प्रयोग भी देखा जा सकता है।


7. दार्शनिक पृष्ठभूमि

कॉलरिज का यह सिद्धांत केवल सौंदर्यशास्त्र तक सीमित नहीं था। वे जर्मन दार्शनिक इमानुअल कांट, शेलिंग और फिच्टे से भी प्रभावित थे। उन्होंने कांट की “निर्णायक शक्ति” और शेलिंग की “आदर्शवादी कल्पना” को अपनी समझ में समाहित किया। उनके लिए कल्पना ब्रह्मांड और आत्मा को जोड़ने वाली सेतु थी।


8. साहित्यिक आलोचना में प्रभाव

कॉलरिज का कल्पना और फैंटेसी का भेद आधुनिक साहित्यिक आलोचना का आधार बन गया। इसने कविता और कल्पना के संबंध को नए रूप में समझने में मदद की। उनके बाद के आलोचकों जैसे मैथ्यू अर्नॉल्ड, टी.एस. एलियट, और आई.ए. रिचर्ड्स ने भी रचनात्मक प्रक्रिया में कल्पना की महत्ता को स्वीकार किया।


9. आधुनिक दृष्टिकोण से मूल्यांकन

वर्तमान युग में, जहां साहित्य, मनोविज्ञान, और भाषाविज्ञान का गहरा अंतःसंबंध है, कॉलरिज का यह सिद्धांत और अधिक प्रासंगिक हो गया है। उनका विचार है कि कला केवल यथार्थ का प्रतिरूप नहीं है, बल्कि एक सृजनात्मक क्रिया है जो यथार्थ को नया रूप देती है। इस दृष्टिकोण से कॉलरिज को आधुनिक रचनात्मकता का अग्रदूत माना जा सकता है।


10. निष्कर्ष

कॉलरिज का कल्पना और फैंटेसी का सिद्धांत साहित्यिक आलोचना और रचनात्मक लेखन दोनों के लिए एक मील का पत्थर है। उन्होंने कल्पना को केवल एक मानसिक क्रिया नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक और रचनात्मक शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया। कल्पना जीवन की गहराइयों को उद्घाटित करती है, जबकि फैंटेसी सतही रूप से मनोरंजन करती है। कॉलरिज के इस सिद्धांत ने कविता की आत्मा को समझने की नई दृष्टि प्रदान की, जो आज भी प्रासंगिक है।

उनकी यह अवधारणा आज के रचनाकारों, आलोचकों और पाठकों को यह बताती है कि साहित्य का कार्य केवल वर्णन नहीं, बल्कि जीवन की पुनर्रचना है।


♦️वस्तुनिष्ठ प्रश्न♦️

1➤ सैमुअल टेलर कॉलरिज किस साहित्यिक आंदोलन से जुड़े थे?





2➤ कॉलरिज का जन्म किस वर्ष हुआ था?





3➤ कॉलरिज की प्रमुख आलोचनात्मक कृति कौन-सी है?





4➤ कॉलरिज और वर्ड्सवर्थ ने मिलकर कौन-सा काव्य-संग्रह प्रकाशित किया था?





5➤ कॉलरिज का कौन-सा काव्य “अलौकिकता” का श्रेष्ठ उदाहरण है?





6➤ Biographia Literaria का प्रकाशन वर्ष क्या है?





7➤ कॉलरिज की रचनाओं में किस तत्व की प्रमुखता है?





8➤ कॉलरिज ने कल्पना को क्या कहा है?





9➤ प्राथमिक कल्पना किससे संबंधित होती है?





10➤ द्वितीयक कल्पना क्या करती है?





11➤ फैंटेसी को कॉलरिज ने किस श्रेणी की शक्ति माना?





12➤ “कल्पना सृजन करती है, फैंटेसी संयोजन” – इस दृष्टिकोण के जनक कौन हैं?





13➤ कॉलरिज के अनुसार, एक कवि को ‘कवि’ कौन-सी शक्ति बनाती है?





14➤ कॉलरिज की कल्पना-दृष्टि पर किस जर्मन दार्शनिक का प्रभाव था?





15➤ “निर्णायक शक्ति” (Faculty of Judgment) का सिद्धांत किसका है?





16➤ द्वितीयक कल्पना किसका परिष्कृत रूप है?





17➤ कल्पना किसे जोड़ने वाली शक्ति है?





 

Leave a Comment

error: Content is protected !!