आई. ए. रिचर्ड्स का संप्रेषण सिद्धांत

भूमिका

बीसवीं सदी के आरंभिक वर्षों में साहित्यिक आलोचना की दिशा में कई मौलिक और क्रांतिकारी परिवर्तन हुए। इस युग में पारंपरिक सौंदर्यशास्त्र की सीमाओं से बाहर निकलकर भाषा, संप्रेषण, पाठक और लेखक के संबंधों की वैज्ञानिक व्याख्या की जाने लगी। इस परिवर्तनकारी दौर में जिन विद्वानों का नाम अग्रणी रूप से लिया जाता है, उनमें इंग्लैंड के प्रख्यात समीक्षक, सौंदर्यशास्त्री और भाषाविद् आई. ए. रिचर्ड्स (I. A. Richards) का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। रिचर्ड्स का “संप्रेषण सिद्धांत” (Theory of Communication) आधुनिक आलोचना और भाषिक विश्लेषण के क्षेत्र में एक मौलिक चिंतन प्रस्तुत करता है। इस सिद्धांत के माध्यम से उन्होंने कविता, भाषा और अर्थ की संरचना को वैज्ञानिक पद्धति से समझाने का प्रयास किया।

आई. ए. रिचर्ड्स का संक्षिप्त परिचय

आई. ए. रिचर्ड्स का जन्म 1893 ई. में इंग्लैंड में हुआ था। वे मूलतः कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी साहित्य के प्राध्यापक थे। उन्होंने C. K. Ogden के साथ मिलकर भाषा और संप्रेषण पर कई प्रयोग किए। उनका प्रमुख कार्य “The Meaning of Meaning” (1923), “Principles of Literary Criticism” (1924), “Practical Criticism” (1929) और “The Philosophy of Rhetoric” (1936) है। इन रचनाओं में उन्होंने संप्रेषण, भाषा, कविता और साहित्यिक अनुभव की प्रक्रिया को मनोवैज्ञानिक और भाषिक स्तर पर स्पष्ट किया।


संप्रेषण सिद्धांत की प्रस्तावना

रिचर्ड्स का मानना था कि कविता या साहित्य मात्र भावनाओं की अभिव्यक्ति नहीं है, बल्कि यह एक संप्रेषण प्रक्रिया है जिसमें लेखक (कवि), पाठक और भाषा के मध्य एक त्रिकोणीय संबंध होता है। उनका विचार था कि भाषा का प्रयोग केवल विचारों की अभिव्यक्ति के लिए नहीं होता, बल्कि उसका उद्देश्य दूसरों के मस्तिष्क में समान मानसिक अनुभव उत्पन्न करना है।


संप्रेषण की त्रिकोणीय प्रक्रिया

रिचर्ड्स ने संप्रेषण प्रक्रिया को त्रिकोणात्मक संरचना (Semantic Triangle) के रूप में प्रस्तुत किया, जिसमें तीन मुख्य घटक होते हैं:

  1. प्रतीक (Symbol) – अर्थात शब्द

  2. संदर्भित वस्तु (Referent) – अर्थात वास्तविक वस्तु या अनुभव जिससे शब्द संबंधित है

  3. संदर्भ (Reference) – अर्थात मस्तिष्क में उत्पन्न विचार या अर्थ

उनका तर्क है कि कोई भी शब्द सीधे किसी वस्तु से नहीं जुड़ता, वह पहले व्यक्ति के मस्तिष्क में किसी विचार को उत्पन्न करता है और वह विचार वस्तु से संबंधित होता है। इस प्रकार संप्रेषण की प्रक्रिया मूलतः मानसिक, भाषिक और सृजनात्मक है।


भाषा और अर्थ की प्रकृति

आई. ए. रिचर्ड्स ने भाषा को एक जटिल, बहुआयामी उपकरण माना जो केवल संप्रेषण के लिए नहीं बल्कि मानसिक, भावनात्मक और सांस्कृतिक अनुभवों को साझा करने का माध्यम है। उन्होंने भाषा के तीन प्रमुख अर्थ-स्तर बताए:

  1. संवेदनात्मक (Emotive Meaning) – वह अर्थ जो भावनाओं को अभिव्यक्त करता है।

  2. संज्ञानात्मक (Cognitive Meaning) – वह अर्थ जो बौद्धिक या यथार्थ अनुभवों को संप्रेषित करता है।

  3. आदेशात्मक (Imperative Meaning) – वह अर्थ जो व्यवहार या प्रतिक्रिया को प्रभावित करता है।

इस विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि रिचर्ड्स भाषा को एक स्थिर माध्यम नहीं बल्कि एक गतिशील, बहुस्तरीय प्रक्रिया मानते हैं जो वक्ता और श्रोता के मानसिक संयोग पर आधारित होती है।


कविता और संप्रेषण

आई. ए. रिचर्ड्स की आलोचना का प्रमुख क्षेत्र कविता है। वे कविता को “संप्रेषण की चरम अभिव्यक्ति” मानते हैं। उनके अनुसार, कविता का प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि पाठक उसमें अंतर्निहित अर्थ, भाव और लय को कितनी सफलता से ग्रहण करता है। कविता संप्रेषण की वह कला है जो शब्दों के माध्यम से गहनतम मानसिक और भावनात्मक अनुभवों को साझा करती है।

रिचर्ड्स ने ‘Poetry as a Communication’ की धारणा के अंतर्गत यह सिद्ध करने का प्रयास किया कि कविता में प्रयुक्त प्रतीकों (Symbols) का प्रभाव पाठक के मानस पर किस प्रकार पड़ता है। वे कविता के पाठ को प्रतिक्रिया उत्पन्न करने वाली इकाई मानते हैं – यानी कविता का मूल्य इस पर निर्भर करता है कि वह पाठक के भीतर कैसी मानसिक प्रतिक्रिया उत्पन्न करती है।


Practical Criticism और संप्रेषण

रिचर्ड्स की Practical Criticism पुस्तक में संप्रेषण की प्रक्रिया का व्यावहारिक रूप में परीक्षण किया गया। उन्होंने छात्रों को कविताएं दीं जिनमें लेखक का नाम और संदर्भ नहीं था, और उनसे कविता के अर्थ, प्रभाव और संरचना पर प्रतिक्रिया देने को कहा। इससे उन्हें यह निष्कर्ष मिला कि संप्रेषण केवल भाषा की स्पष्टता से नहीं, बल्कि पाठक की मानसिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक पृष्ठभूमि से भी जुड़ा होता है।

इस प्रयोग से रिचर्ड्स यह सिद्ध करते हैं कि संप्रेषण न तो एकतरफा है और न ही स्वचालित – यह एक जटिल और परस्परक्रियात्मक प्रक्रिया है जिसमें पाठक की भूमिका निर्णायक होती है।


The Philosophy of Rhetoric और संप्रेषण की समस्याएँ

The Philosophy of Rhetoric में रिचर्ड्स ने संप्रेषण की विफलताओं पर भी प्रकाश डाला है। उन्होंने ‘Misunderstanding’ (असमझ या संप्रेषण विफलता) की अवधारणा पर विस्तार से विचार किया। उनके अनुसार, भाषा में अर्थ के बहुलत्व और पाठक की भिन्न-भिन्न व्याख्याओं के कारण संप्रेषण में अक्सर भ्रम उत्पन्न होता है।

उन्होंने यह भी कहा कि संप्रेषण की सफलता भाषा के दो तत्वों पर निर्भर करती है:

  1. Denotation (शाब्दिक अर्थ) – किसी शब्द का प्रत्यक्ष अर्थ।

  2. Connotation (भावार्थ) – किसी शब्द का सांस्कृतिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक प्रसंग।

जब लेखक और पाठक के बीच इन दो स्तरों पर मेल नहीं होता, तब संप्रेषण असफल हो जाता है।


रिचर्ड्स का मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण

रिचर्ड्स का संप्रेषण सिद्धांत केवल भाषावैज्ञानिक नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक भी है। वे भाषा को मानसिक क्रियाओं का विस्तार मानते हैं। उनके अनुसार, एक सफल संप्रेषण प्रक्रिया तभी संभव है जब वक्ता और श्रोता (या लेखक और पाठक) के मस्तिष्क में समान मानसिक प्रतिक्रिया उत्पन्न हो। वे इसे “balanced response” कहते हैं – अर्थात संतुलित और उपयुक्त प्रतिक्रिया।


संप्रेषण में ‘Feed-back’ की भूमिका

रिचर्ड्स के विचारों में प्रत्यक्ष रूप से ‘फीडबैक’ शब्द का प्रयोग नहीं हुआ है, परंतु उनका संप्रेषण सिद्धांत इस अवधारणा को अंतर्निहित रूप से स्वीकार करता है। जब कोई लेखक या वक्ता संप्रेषण करता है, तो उसे यह जानना होता है कि सामने वाला व्यक्ति उस संप्रेषण को कैसे ग्रहण कर रहा है। यही प्रक्रिया ‘फीडबैक’ है, जो किसी भी प्रभावी संप्रेषण के लिए अनिवार्य होती है।


संप्रेषण सिद्धांत की सीमाएँ

हालाँकि रिचर्ड्स का संप्रेषण सिद्धांत आधुनिक आलोचना के क्षेत्र में क्रांतिकारी है, फिर भी इसकी कुछ सीमाएँ हैं:

  1. यह सिद्धांत अत्यधिक मनोवैज्ञानिक है, जिससे साहित्य की सौंदर्यात्मक व्याख्या सीमित हो जाती है।

  2. रिचर्ड्स ने सामाजिक, ऐतिहासिक और वैचारिक संदर्भों की उपेक्षा की है।

  3. यह सिद्धांत पश्चिमी साहित्य और विचार पद्धति पर आधारित है, जो सार्वभौमिक रूप से लागू नहीं किया जा सकता।


भारतीय संदर्भ में रिचर्ड्स का संप्रेषण सिद्धांत

भारतीय काव्यशास्त्र में भी संप्रेषण और रस-आस्वादन की गहन अवधारणा मौजूद है। आचार्य भरतमुनि का रस सिद्धांत और आचार्य आनंदवर्धन का ध्वनि सिद्धांत रिचर्ड्स के सिद्धांत से कुछ स्तर तक साम्य रखते हैं। जैसे रिचर्ड्स संप्रेषण को मानसिक प्रक्रिया मानते हैं, वैसे ही भारतीय आलोचना में ‘साहित्यिक आस्वादन’ को आत्मा की अनुभूति माना गया है। इस दृष्टि से रिचर्ड्स के विचारों को भारतीय सन्दर्भ में पुनर्व्याख्यायित किया जा सकता है।


निष्कर्ष

आई. ए. रिचर्ड्स का संप्रेषण सिद्धांत आधुनिक साहित्यिक आलोचना की एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। उन्होंने भाषा, अर्थ और संप्रेषण के जटिल संबंधों को वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक ढंग से स्पष्ट किया। रिचर्ड्स की यह मान्यता कि कविता, पाठक के मानस पर एक विशेष प्रभाव छोड़ने वाली संरचना है, आधुनिक साहित्यिक व्याख्या के लिए एक दिशा-निर्देशक सिद्धांत बन गई।

उनका संप्रेषण सिद्धांत यह बताता है कि साहित्य केवल सौंदर्य या मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह मानवीय अनुभवों की साझेदारी और मानसिक समन्वय की प्रक्रिया है। यद्यपि उनके विचारों की कुछ सीमाएँ हैं, फिर भी साहित्यिक आलोचना में उनकी भूमिका अनन्य और अविस्मरणीय है।


वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1➤ आई. ए. रिचर्ड्स का जन्म कब हुआ था?





2➤ रिचर्ड्स मूलतः किस विश्वविद्यालय में अध्यापन करते थे?





3➤ रिचर्ड्स का प्रमुख आलोचनात्मक सिद्धांत क्या है?





4➤ रिचर्ड्स ने किसके साथ मिलकर भाषा और संप्रेषण पर प्रयोग किए?





5➤ संप्रेषण प्रक्रिया के रिचर्ड्स द्वारा बताए गए कितने घटक हैं?





6➤ त्रिकोणीय संप्रेषण प्रक्रिया का एक घटक नहीं है ?





7➤ रिचर्ड्स के अनुसार भाषा क्या है?





8➤ रिचर्ड्स ने भाषा के कितने प्रमुख अर्थ-स्तर बताए हैं?





9➤ निम्न में से कौन-सा भाषा का अर्थ-स्तर नहीं है?





10➤ रिचर्ड्स की दृष्टि में कविता क्या है?





11➤ कविता में प्रयुक्त प्रतीकों को रिचर्ड्स क्या मानते हैं?





12➤ रिचर्ड्स ने कौन-सी पुस्तक में संप्रेषण की विफलताओं की चर्चा की?





13➤ रिचर्ड्स किस प्रकार की प्रतिक्रिया को उपयुक्त मानते हैं?





14➤ रिचर्ड्स के अनुसार संप्रेषण में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका किसकी होती है?





15➤ किस भारतीय सिद्धांत से रिचर्ड्स के संप्रेषण सिद्धांत की तुलना की जाती है?





16➤ संप्रेषण सिद्धांत की एक प्रमुख सीमा क्या है?





17➤ रिचर्ड्स का संप्रेषण सिद्धांत किस प्रकार की आलोचना में आता है?





18➤ संप्रेषण सिद्धांत के अनुसार कविता किस प्रकार का अनुभव संप्रेषित करती है?





19➤ संप्रेषण में रिचर्ड्स किस अंतर्निहित तत्व को मानते हैं, जो बाद में ‘फीडबैक’ कहलाया?





20➤ किस भारतीय आचार्य ने ध्वनि सिद्धांत प्रस्तुत किया था?





 

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