प्लेटो के काव्य सिद्धांत

भूमिका पश्चिमी काव्यशास्त्र के इतिहास में प्लेटो (Plato) एक अत्यंत महत्वपूर्ण और विवादास्पद दार्शनिक रहे हैं। उन्होंने न केवल साहित्य ...
Read more

आई. ए. रिचर्ड्स का संप्रेषण सिद्धांत

भूमिका बीसवीं सदी के आरंभिक वर्षों में साहित्यिक आलोचना की दिशा में कई मौलिक और क्रांतिकारी परिवर्तन हुए। इस युग ...
Read more

अरस्तु का अनुकरण सिद्धांत

प्रस्तावना साहित्य का मूल्यांकन और विश्लेषण करने के लिए विभिन्न सिद्धांत प्रस्तुत किए गए हैं। इन सिद्धांतों में सबसे प्राचीन ...
Read more

हिंदी की स्वनिम व्यवस्था

प्रस्तावना भाषा ध्वनियों की एक सुसंगठित प्रणाली है, जो स्वनिमों (Phonemes) के आधार पर बनती है। प्रत्येक भाषा की अपनी ...
Read more

हिंदी की उपभाषाएं

प्रस्तावना हिंदी एक विशाल भाषिक समुदाय की भाषा है, जिसका उपयोग न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी होता ...
Read more

साहित्यिक हिंदी के रूप में खड़ी बोली का उदय और विकास

प्रस्तावना भारतवर्ष की एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक विशेषता यह है कि यहां की भाषाओं में विविधता और समृद्धि देखने को मिलती ...
Read more

काव्यभाषा के रूप में ब्रजभाषा का उदय और विकास

प्रस्तावना भारतीय साहित्य के समृद्ध इतिहास में ब्रजभाषा एक ऐसी भाषा है, जिसने अपनी मिठास, लयात्मकता और भावाभिव्यक्ति की क्षमता ...
Read more

काव्यभाषा के रूप में अवधी का उदय और विकास

प्रस्तावना भारतीय भाषाओं के इतिहास में अवधी को एक विशेष स्थान प्राप्त है। यह न केवल एक क्षेत्रीय बोली के ...
Read more

अपभ्रंश (अवहट्ट सहित) और पुरानी हिंदी का संबंध

प्रस्तावना भारतीय उपमहाद्वीप की भाषिक परंपरा अत्यंत समृद्ध है, परन्तु इसके साथ ही हमें इसमें जटिलताएं भी देखने को मिलती ...
Read more

हिन्दी नवरत्न

‘हिन्दी नवरत्न’ क्या है ? ‘हिन्दी नवरत्न’ मिश्र बन्धुओं की एक आलोचनात्मक पुस्तक है, जिसका प्रकाशन संवत् 1967 में हुआ ...
Read more
12 Next
error: Content is protected !!