संरचनावाद क्या है ?

भूमिका मानव सभ्यता के बौद्धिक इतिहास में बीसवीं शताब्दी को विचारों की क्रांतिकारी शताब्दी माना जाता है। इस युग में ...
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कल्पना की अवधारणा

भूमिका मानव जीवन की संपूर्ण सृष्टि और सभ्यता का आधार उसकी सोचने, गढ़ने और नए रूपों का निर्माण करने की ...
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मिथक क्या है ?

प्रस्तावना मानव सभ्यता के विकास में कथा-परंपरा की अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। प्रारंभिक काल में जब मनुष्य प्रकृति की ...
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भारतीय उपन्यास की अवधारणा

भूमिका भारतीय साहित्य का इतिहास अत्यंत प्राचीन और समृद्ध है। वेदों, उपनिषदों, महाकाव्यों और पुराणों से लेकर आधुनिक कथा-साहित्य तक ...
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साधारणीकरण (भारतीय काव्यशास्त्र)

प्रस्तावना भारतीय काव्यशास्त्र में साधारणीकरण (Universalization) एक अत्यंत महत्वपूर्ण तथा केंद्रीय सिद्धांत है, जो काव्य में रस की निष्पत्ति को ...
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त्रासदी की अवधारणा | अरस्तु

प्रस्तावना त्रासदी (Tragedy) मूल रूप से नाटकों की एक शैली है जिसमें हमें मानवीय दुःखों का वर्णन देखने को मिलता ...
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रस निष्पत्ति की अवधारणा

प्रस्तावना भारतीय काव्यशास्त्र में “रस” का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। रस न केवल कविता या साहित्य का प्राण माना गया ...
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औचित्य संप्रदाय (भारतीय काव्यशास्त्र)

प्रस्तावना भारतीय दर्शन की विविध धाराओं में औचित्य संप्रदाय (auchitya sampradaya) एक महत्वपूर्ण साहित्यिक और काव्य-मीमांसीय अवधारणा है, जिसे महाकवि ...
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नई समीक्षा

प्रस्तावना हिंदी साहित्य की आलोचना परंपरा में समय-समय पर अनेक दृष्टिकोण और प्रवृत्तियाँ उभरी हैं। बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में ...
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रूसी रूपवाद

प्रस्तावना बीसवीं शताब्दी के आरंभिक दशकों में साहित्यिक आलोचना और भाषा विज्ञान के क्षेत्र में अनेक नवीन प्रवृत्तियाँ सामने आईं। ...
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