राज्यसभा क्या है ?
संविधान के अनुच्छेद-80 में राज्यसभा के गठन से संबंधित प्रावधान किए गए हैं। राज्यसभा संसद का उच्च सदन होता है, जो केन्द्र में राज्यों का नेतृत्व करता है। राज्यसभा की प्रासंगिकता संसदीय व्यवस्था में अत्यन्त ही अधिक होती है। यह एक स्थाई सदन है, जिसे कभी भी भंग नहीं किया जा सकता।
राज्यसभा सदस्यों का निर्वाचन
संविधान में इस बात का उल्लेख किया गया है कि राज्यसभा में अधिकतम सीटों की संख्या 250 होगी। जिनमें से 12 सदस्य राष्ट्रपति नॉमिनेट करेगा। ये 12 सदस्य खेल, कला, संगीत, साहित्य जैसे क्षेत्रों से होते हैं। बाकी 238 सदस्यों का चयन अप्रत्यक्ष विधि द्वारा किया जाता है, जिसमें राज्य तथा केन्द्रशासित प्रदेश की विधानसभाओं के केवल निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं। किसी भी मनोनित सदस्य को राज्यसभा में भाग लेने का अधिकार नहीं होता है। इसके सदस्यों का कार्यकाल सामान्यतः 6 वर्षों का होता है। किन्तु प्रत्येक 2 वर्ष पर 1/3 सदस्य रिटायर हो जाते हैं।
अर्हताएं
1- भारत का नागरिक हो।
2- आयु कम से कम 30 वर्ष हो।
3- किसी भी लाभ के पद पर न हो।
राज्यसभा के पदाधिकारी
राज्यसभा में दो महत्वपूर्ण पदाधिकारी होते हैं- सभापति और उपसभापति। अनुच्छेद-64 के अनुसार भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है। इस प्रकार से राज्यसभा का सभापति उस सदन का सदस्य नहीं होता। उपसभापति राज्यसभा का सदस्य होता है तथा इसका चुनाव राज्यसभा के सदस्यों के द्वारा ही किया जाता है।
राज्यसभा की शक्तियां
राज्यसभा के पास दो अनन्य शक्तियां होती हैं, जो लोकसभा के पास नहीं होती हैं। ये हैं अनुच्छेद-249 और अनुच्छेद-312 अनुच्छेद 249 के तहत यदि राज्यसभा राज्य के किसी विषय को 2/3 बहुमत से राष्ट्रीय महत्व का घोषित कर दे, तब उस विषय पर विधि बनाने की शक्ति संसद को प्राप्त हो जाती है। अनुच्छेद 249 के तहत बनाई गई विधियां उस राज्य पर एक बार में अधिकतम 1 वर्ष के लिए लागू रह सकती हैं। यद्यपि संसद इसे 1-1 वर्ष करके कई बार बढ़ा सकता है।
अनुच्छेद-312 नए अखिल भारतीय सेवाओं के सृजन का प्रावधान करता है, जिसमें यह कहा गया है कि यदि राज्यसभा 2/3 बहुमत से यह संकल्प पारित कर दे, तब नए अखिल भारतीय सेवाओं का सृजन किया जा सकता है। वर्तमान समय में कुल तीन अखिल भारतीय सेवाएं हैं-
1- आई. ए. एस.
2- आई. पी. एस.
3- आई. एफ. एस.