संविधान सभा का गठन

संविधान क्या है ?

व्यक्ति जन्मजात रूप से स्वभाव में नकारात्मक होता है, अर्थात वह किसी भी कार्य को अपनी इच्छा के अनुरूप करना चाहता है तथा वह दूसरे की सुविधाओं तथा असुविधाओं को ध्यान में नहीं रखता है। अतः उसे नियंत्रित करने के लिए कुछ निश्चित नियम बनाए जाते हैं। इन्हीं नियमों के दस्तावेज को संविधान कहा जाता है। संविधान लिखित तथा अलिखित दोनों हो सकते हैं।
जैसे- अमेरिका तथा भारत का संविधान एक लिखित संविधान है, जबकि ब्रिटेन का संविधान अलिखित संविधान है।

कैबिनेट मिशन (1946)

भारत में राजनैतिक संकट को दूर करने के लिए द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटिश सरकार ने पार्लियामेन्ट के तीन कैबिनेट मिनिस्टर – पैथिक लॉरेन्स, ए॰वी॰ एलेक्जेण्डर तथा स्टैफर्ड क्रिप्स को भारत भेजा। इसे ही कैबिनेट मिशन कहा जाता है। यह मिशन 1946 में भारत आया। इसकी अध्यक्षता ‘पैथिक लॉरेन्स’ ने की थी। पैथिक लॉरेन्स उस समय भारत सचिव भी थे।

वाइसरॉय लॉर्ड बेवेल कैबिनेट मिशन 1946 के सदस्यों के साथ
(बाएं से दांए) ए॰वी॰ एलेक्जेण्डर , पैथिक लॉरेन्स, लॉर्ड बेवेल और स्टैफर्ड क्रिप्स

कैबिनेट मिशन के द्वारा प्रस्तुत की गई योजनाएं

कैबिनेट मिशन के द्वारा जो योजनाएं प्रस्तुत की गई थीं, वह इस प्रकार हैं-

1. ब्रिटिश भारतीय प्रान्त तथा देशी रियाशतों को मिलाकर एक संघ का निर्माण किया जाएगा। संघ के पास विदेशी, रक्षा तथा संचार तीन मामले होंगे।

2. संघ के पास अपनी कार्यपालिका और विधायिका होगी। जिसमें प्रान्तों तथा देशी रियासतों के सदस्य शामिल होंगे, यद्यपि देशी रियासतों को संघ में शामिल होने या न होने की छूट होगी।

3. भारत में एक संविधान सभा का गठन किया जाएगा। इस संविधान सभा के दो कार्य निर्धारित किए जाएंगे। जिसमें पहला है संविधान का निर्माण करना और दूसरा है अंतरिम सरकार बनाना।

इस प्रकार कैबिनेट मिशन में एक संविधान सभा के गठन का प्रावधान रखा गया। जिसे अप्रत्यक्ष निर्वाचन विधि के द्वारा गठित किया गया। इसमें प्रत्येक 10 लाख की आबादी पर 1 सीट के गठन का प्रावधान किया गया। इसके अनुसार संपूर्ण भारत से 389 सदस्यों के संविधान सभा में निर्वाचित होने का प्रावधान किया गया। जिसमें से 292 सदस्य प्रान्तों से 4 सदस्य चीफ कमिश्नरी (दिल्ली, अजमेर-मारवाड़, कुर्ग और ब्लूचिस्तान) से तथा 93 सदस्य देशी रियाशतों से चुने जाने थे। इसमें ‘हैदराबाद’ एक मात्र ऐसी देशी रियाशत थी, जो इस संविधान सभा में शामिल नहीं हुई थी।

इसके पश्चात् संविधान सभा का चुनाव करवाया गया। यह चुनाव सिर्फ 296 प्रान्तों  में हुआ था, जबकि देशी रियासतों ने आपसी सहमति से अपने कैंडिडेट चुन लिए थे। 296 सीटों के चुनाव परिणाम में सबसे अधिक 208 सीटें कांग्रेस पार्टी को मिलीं, 73 सीटें मुस्लिम लीग को मिलीं, जबकि 15 सीटें अन्य पार्टियों को प्राप्त हुईं। कैबिनेट मिशन के प्रावधानों के तहत सभी दलों को मिलाकर एक अंतरिम सरकार का गठन करना था। अतः सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस होने के नाते, कांग्रेस को सरकार बनाने का न्यौता दिया गया। ब्रिटिश पार्लियामेन्ट ने 24 अगस्त 1946 को जवाहर लाल नेहरू को सरकार बनाने का आमन्त्रण दिया।

एक मीटिंग में लॉर्ड माउण्ट बेटन के साथ पंडित जवाहरलाल नेहरू, मोहम्मद अली जिन्ना और अन्य नेता गण

संविधान सभा के गठन के पश्चात् पहली अन्तरिम सरकार का गठन किया गया। इस अंतरिम सरकार ने 2 सितम्बर 1946 से कार्य करना प्रारम्भ किया। इस अंतरिम सरकार में नेहरू सहित कुल 14 सदस्य शामिल हुए। इन सभी 14 सदस्यों को वाइसरॉय की कार्यकारणी का सदस्य बनाया गया, जिसके उपाध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू बने, जबकि अध्यक्ष तत्कालिक वाइसरॉय ‘लॉर्ड बेवेल’ बने। 12 फरवरी 1947 को बेवेल के स्थान पर लॉर्ड माउण्ट बेटन को भारत का वाइसरॉय बनाकर भेजा गया। 20 फरवरी 1947 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लेमेण्ट एटली ने ब्रिटिश संसद में इस बात की घोषणा की कि 30 जून 1948 से पहले ब्रिटिश सरकार भारत को छोड़कर वापस आ जाएगी। इसी घोषणा के आधार पर वाइसरॉय लॉर्ड माउण्टबेटन ने 3 जून 1947 को भारत तथा पाकिस्तान के विभाजन की रूप रेखा प्रस्तुत की। जिसे माउण्ट बेटन योजना या 3 जून योजना भी कहा जाता है। इसी योजना के आधार पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री एटली ने 19 जुलाई 1947 को ब्रिटिश संसद में भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम पारित किया। इसी अधिनियम के प्रावधानों के तहत 14-15 अगस्त 1947 को भारत तथा पाकिस्तान नामक दो अधिराज्यों का गठन हुआ। 14 अगस्त को पाकिस्तान तथा 15 अगस्त को भारत अधिराज्य का गठन हुआ। भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम के प्रावधानों के तहत ब्रिटिश क्राउन ने लॉर्ड माउण्ट बेटन को भारत का गवर्नर जनरल नियुक्त किया। जबकि मोहम्मद अली जिन्ना को पाकिस्तान का गवर्नर जनरल नियुक्त किया। इस प्रकार से लॉर्ड माउण्ट बेटन स्वतन्त्र भारत के पहले गवर्नर जनरल बने। ये अपने पद पर 15 अगस्त 1947 से 21 जून 1948 तक थे। इसके पश्चात् इनके स्थान पर सी॰ राजगोपालचारी को भारत का गवर्नर जनरल नियुक्त किया गया। इनका कार्यकाल 21 जून 1948 से 24 जनवरी 1950 तक था। इसप्रकार से सी॰ राजगोपालचारी स्वतन्त्र भारत के पहले भारतीय गवर्नर जनरल बने।

जवाहरलाल नेहरू संविधान पर हस्ताक्षर करते हुए

संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद को भारतीय संविधान सौंपते हुए डॉ॰ वी॰ आर॰ अम्बेडकर, 26 नवम्बर, 1949

संविधान निर्माण के लिए संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसम्बर 1946 को हुई। पहले दिन की अध्यक्षता संविधान सभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य ‘सच्चिदानंद सिन्हा’ ने की। 11 दिसम्बर 1946 को डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष चुना गया। हरीश चन्द्र मुखर्जी को उपाध्यक्ष चुना गया, बी॰एन॰ राव को संवैधानिक सलाहाकार नियुक्त किया गया एवं डॉ॰ भीमराव अम्बेडकर को प्रारूप समिति का अध्यक्ष चुना गया। जवाहरलाल नेहरू, डॉ॰ भीमराव अम्बेडकर, डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे। 13 दिसम्बर 1946 को जवाहरलाल नेहरू ने संविधान का उद्धेश्य प्रस्ताव रखा, जिसे संविधान सभा द्वारा 22 जनवरी 1947 को स्वीकार किया गया। यही उद्धेश्य प्रस्ताव भारत के संविधान की प्रस्तावना बना। संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर 1949 को संविधान लिखकर तैयार किया गया। इस प्रकार से संविधान के निर्माण में कुल 2 वर्ष 11 माह तथा 18 दिन का समय लगा। जिसमें कुल 64 लाख रूपए का खर्च आया तथा इस दौरान संविधान सभा की कुल 11 बैठकें हुईं। संविधान सभा की 12वीं बैठक 24 जनवरी 1950 को बुलाई गई। इस दिन डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद को राष्ट्रपति , वन्दे मातरम को राष्ट्रीय गीत तथा जन-गण-मन को राष्ट्रीय गान बनाया गया। 

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