विधान परिषद

विधान परिषद क्या है ?

विधान परिषद के गठन एवं उत्सादन से संबंधित प्रावधान अनुच्छेद-169 में वर्णित किए गए हैं। यदि किसी राज्य की विधानसभा 2/3 बहुमत से विधान परिषद के गठन या उत्सादन से संबंधित प्रस्ताव पारित कर दे तो यह प्रस्ताव या संकल्प संसद को भेज दिया जाता है। यदि संसद इसे साधारण बहुमत से भी पारित कर दे, तब भी उस राज्य में विधान परिषद का गठन या उत्सादन हो जाएगा। वर्तमान में भारत के 6 राज्यों में विधान परिषद का प्रावधान किया गया है। ये 6 राज्य हैं –
1. बिहार
2. उत्तर प्रदेश
3. कर्नाटक
4. आन्ध्र प्रदेश
5. महाराष्ट्र
6. तेलंगाना

विधान परिषद की संरचना

अनुच्छेद-171 में यह प्रावधान किया गया है कि किसी भी राज्य में विधान परिषद की सदस्य संख्या 40 से कम नहीं होनी चाहिए तथा विधान सभा की कुल सदस्य संख्या के 1/3 से अधिक नहीं होना चाहिए। उस राज्य में विधान परिषद गठित नहीं किया जा सकता जहां विधान सभा की कुल सदस्य संख्या का 1/3, 40 से कम हो।

विधान परिषद में सदस्यों का निर्धारण

● 1/3 सदस्य राज्य विधान सभा के सदस्यों के द्वारा चुने जाते हैं।

● 1/3 सदस्य नगर पालिका, जिला बोर्ड स्थानीय निकाय के सदस्यों से निर्मित एक निर्वाचक मण्डल द्वारा चुने जाते हैं।

●  1/6 सदस्यों का मनोनयन राज्यपाल कला, विज्ञान, साहित्य, समाजसेवा और सहकारिता जैसे क्षेत्रों से करता है।

● 1/12 सदस्य उन छात्रों द्वारा चुने जाते हैं जो 3 वर्ष पहले स्नातक को पूर्ण कर चुके हैं।

● 1/12 सदस्य उन शिक्षकों के द्वारा चुने जाते हैं जिन्होंने 3 वर्ष से अधिक हायरसेकेंड्री या उससे ऊपर शिक्षण कार्य किया हो।

विधान परिषद की अवधि

विधान परिषद एक स्थाई सदन है। अनुच्छेद- 172 (2) में यह प्रावधान है कि विघान परिषद को कभी भी भंग नहीं किया जा सकता । प्रत्येक 2 वर्ष पर 1/3 सदस्य रिटायर हो जाते हैं, तथा उनके स्थान पर उतने ही सदस्यों का निर्वाचन कर लिया जाता है। विधान परिषद के प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है। वह भारत का नागरिक हो और उसकी आयु कम से कम 30 वर्ष हो।

विधान परिषद की शक्तियां एवं कार्य

विधान परिषद राज्य सभा के समकक्ष की स्थिति रखता है, किन्तु दोनों में मूलभूत अन्तर यह है कि राज्य की विधान परिषद, विधान सभा के द्वारा पारित किसी भी विधेयक को पहली बार में 3 माह से अधिक नहीं रोक सकता। तथा दूसरी बार में एक माह से अधिक नहीं रोक सकता। इस प्रकार से विधान परिषद किसी भी विधेयक को अधिकतम 4 माह तक ही रोक सकता है। वहीं यदि बात राज्य सभा की करें, तब राज्य सभा ऐसे विधेयक को अनिश्चित काल के लिए रोक सकता है। धन विधेयक के मामले में राज्यसभा तथा विधान परिषद की स्थितियां समान हैं। दोनों ही धन विधेयक को 14 दिन से अधिक नहीं रोक सकते।

 

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